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एम्स ऋषिकेश में सीबीआई की छापेमारी, 2017-18 की गड़बड़ी की जांच जारी

एम्स ऋषिकेश में 2017-18 में उपकरणों की खरीद और मेडिकल स्टोर आवंटन में हुई गड़बड़ी के मामले में सीबीआई ने जांच तेज कर दी है। बुधवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की टीम एम्स परिसर पहुंची और संबंधित दस्तावेजों की गहनता से जांच की। टीम ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने साथ ले लिए हैं, जिससे इस मामले में नए खुलासे की संभावना बढ़ गई है।

2017-18 में एम्स प्रशासन ने अस्पताल परिसर की सफाई के लिए स्वीपिंग मशीन की खरीद की थी। जांच में सामने आया कि इस खरीद प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई और करीब 4.41 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का खुलासा हुआ। खास बात यह है कि इतनी महंगी मशीन केवल 124 घंटे ही चल पाई। यही नहीं, जिस मशीन को एम्स ने ऊंची कीमत पर खरीदा, वही मशीन एक अन्य कंपनी काफी कम कीमत में उपलब्ध करा रही थी।

सीबीआई ने इस मामले में एम्स के माइक्रोबायोलाजी विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त प्रोफेसर बलराम जी उमर, एनाटॉमी विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो. बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल, प्रशासनिक अधिकारी शशि कांत, लेखाधिकारी दीपक जोशी और दिल्ली स्थित प्रो-मेडिक डियाईसेस कंपनी के स्वामी पुनीत शर्मा को नामजद किया है।

इस मामले में कुछ अन्य लोक सेवकों और निजी क्षेत्र के अज्ञात व्यक्तियों पर भी संदेह जताया जा रहा है। सीबीआई टीम ने जांच के दौरान कई दस्तावेजों को खंगाला और कुछ अहम सबूत अपने साथ ले गई। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े नाम जांच के दायरे में आ सकते हैं।

सीबीआई जांच के चलते एम्स ऋषिकेश में हड़कंप मचा हुआ है। अब देखना यह होगा कि आगे इस मामले में क्या बड़े खुलासे होते हैं।

हिमालयन लाइव ब्यूरो

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