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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना: अवैध डंपिंग पर NGT का 2.03 करोड़ जुर्माना

रुद्रप्रयाग: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के तहत निर्माण कार्य के दौरान रुद्रप्रयाग जिले के चोपड़ा गदेरे में अवैध रूप से मलबा डंप करने के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी के निर्देश पर गठित संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर परियोजना की कार्यदायी संस्था रेलवे विकास निगम लिमिटेड (RVNL) और निर्माण कंपनी मेघा इंजीनियरिंग पर कुल 2.03 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

यह मामला तब सामने आया जब जवाड़ी गांव निवासी ग्राम विकास समिति उत्यासु के अध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने चोपड़ा गदेरे में मलबा डंपिंग को लेकर एनजीटी में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद एनजीटी ने जुलाई 2023 में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों की संयुक्त समिति गठित की। समिति ने स्थलीय निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट 13 मई 2025 को एनजीटी को सौंपी।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि लगभग 2.41 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 97,124 टन मलबा अवैध रूप से डंप किया गया। मलबा डंपिंग में 0.85 हेक्टेयर सिविल वन भूमि और 0.45 हेक्टेयर सिविल वन क्षेत्र भी प्रभावित हुआ, जिसके चलते जखोली रेंज द्वारा पहले ही 4.61 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जा चुका है।

एनजीटी की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद शामिल थे, ने सुनवाई के बाद पाया कि मलबा डंपिंग उपखनिज नियमों और पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। हालांकि, आरवीएनएल और मेघा इंजीनियरिंग ने पीठ से अनुरोध किया कि डंपिंग स्थल को बहाल किया जाए क्योंकि वे जुर्माना राशि अदा करने को तैयार हैं।

एजेंसियों का कहना है कि डंपिंग किए गए मलबे का उपयोग जल निकासी सुधारने और मानसून के दौरान संभावित नुकसान से बचाव के लिए किया जाएगा। उन्होंने डंपिंग स्थल पर वृक्षारोपण का भी वचन दिया।

पीठ ने यह शर्त रखते हुए डंपिंग स्थल को बहाल करने की अनुमति दी कि मलबा किसी अन्य स्थान पर नहीं ले जाया जाएगा और पुनर्प्रयोग विशेषज्ञ समिति के परामर्श से ही किया जाएगा। इसके साथ ही चोपड़ा गदेरे के कायाकल्प और पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए कार्ययोजना तैयार करने का आदेश भी दिया गया है।

एनजीटी ने स्पष्ट किया कि 2.03 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि राजस्व नहीं मानी जाएगी, बल्कि इसे चोपड़ा गदेरे की पर्यावरणीय बेहतरी के लिए प्रयोग किया जाएगा। गदेरे के पुनरुद्धार की लागत का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी, जिसे तीन माह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

यह कार्रवाई पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और विकास कार्यों के दौरान प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी की एक मिसाल के रूप में देखी जा रही है।

हिमालयन लाइव ब्यूरो

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